टूटता दिल
चंद ख़्वाब, चंद हक़ीकत
मुट्ठी भर धूप की थी जरूरत,
चंद बोल प्यार के संग,
और नही थी मन में कोई हसरत।
तिनका-तिनका था सहेजा,
टूट न जाए प्यार का घरौंदा,
दुःख सुख में संग संग चलें थे,
एक झटके से विश्वास को रौंदा।
बेवज़ह की थी मन में पली अना,
वजह यही थी जो कोई अपना न बना,
चोट और तकलीफ़ देकर दूसरों को
न जाने कैसे था सुकून मिला।
ख़्वाब सारे टूटने थे लगे,
मुस्कुराने की वजह कोई न मिले,
हर तरफ घनघोर अँधियारा छाया,
आस के दीपक कोई न फिर जले।
प्यार की जगह नफ़रत का था डेरा,
अपनेपन का नही रहा बसेरा,
रिश्ते की दीवारें दरक रहीं थीं,
टूटे हुए दिल को गम ने था घेरा।
मन से एक आवाज आईं,
जीने की वजह ढूढो फिर देगी दिखाई,
संयम की डोर थाम कर चलो,
जिंदगी से फिर होगी मिताई।