||टुटा दिल ||
“आज फिर से ये वक्त
कुछ बेरहम सा लगता है
क्यूँ बसंत का मौसम ये
पतझड़ सा मुझको लगता है ,
क्यूँ महफ़िलों में छाया है तन्हापन
क्यूँ संगीत बेसुरा लगता है
क्यूँ ये सावन की बारिश भी
कुछ सुखा- सुखा सा लगता है ,
क्यूँ ये सर्द हवाये अब
उष्ण सी प्रतीत होती है
क्यूँ ये प्यार की बातें अब
सीने में कंटक सी चुभती है ,
वीरानी सी हो जाती है दुनिया
जब ये दिल टूट जाता है
हर पल होता है दर्द का आलम
जब दिल ये तनहा रह जाता है ||”