टिप्पणियों ( कमेंट्स) का फैशन या शोर
आज कल टिप्पणियों का बड़ा ,
फैशन चल पड़ा है ।
पूरा सियासी बाजार तरह तरह की ,
टिप्पणियों से लदा पड़ा है ।
राजनेताओं की टिप्पणी ,
सरकार की टिप्पणी ,
न्यायधीशों / वकीलों की टिप्पणी ,
मशहूर शख्सियतों की टिप्पणी ,
( क्या बॉलीवुड ,क्या व्यापारी वर्ग ,
क्या खेल जगत ,)
सभी ओर से गूंज रही है टिप्पणियां ही टिप्पणियां।
संपूर्ण सोशल मीडिया,,
गोदी मीडिया ,
प्रिंट मीडिया,
सभी अटे पड़े हैं टिप्पणियों से ।
इन टिप्पणियों के शोर में गुम हो चुकी है ,
आम गरीब जनता की बात ,
समाज सुधार की बात ,
न्याय और कानून व्यवस्था की बात ,
महिला ,बच्चे और युवतियों ,बच्चियों की ,
सुरक्षा की बात ।
शिक्षा और रोजगार की बात ,
और ना जाने कितने महत्वपूर्ण मुद्दे ,
इन टिप्पणियों में गुम हो चुके हैं।
और जो है बस बातें ही है ,कार्य रूप में कुछ नहीं,
हकीकत है बस की जाने वाली टिप्पणियां ।
आजकल जनाब ! सब आवाजें बंद है ,
सुनाई दे रहा है बस टिप्पणियों का शोर ।
और कुछ नहीं।
हमने तो कसम से समाचार सुनने बंद कर दिए ,
इनकी टिप्पणियों से सरदर्द होता है ।
दिल में दर्द भी होता है ।
रक्त चाप बढ़ता है ।
तनाव और संत्रास बढ़ता है ।
बस भी करो ! यह टिप्पणी टिप्पणी का खेल ।
पगला गए हम सुनकर यह शब्द ,
टिप्पणी ।
अभिव्यक्ति की आजादी का पूरा फायदा ,
उठा रही है यह टिप्पणी ।
कभी अच्छी टिप्पणी ,
कभी भद्दी टिप्पणी।
अच्छी तो बहुत कम सुनाई देती है ,
जायदा सुनाई देती है भद्दी टिप्पणी।
भगवान जाने ! कब हमारे देश से जायेगा ,
यह रोग ।
यह नामुराद टिप्पणी !