टापू
लहरों के थपेड़ों से
टापुओं की मिट्टी का क्षरण
सदियों से होता रहा है
टापू सिमट रहे हैं!
वनस्पतियों को अपनी छाती पर सहेजने वाले टापू
जलजीवों के पर्यटन स्थल
भटके हुए नाविकों के आश्रय
बीच समन्दर में लहरों को पालने वाले
संभालने वाले टापू
अपने ही अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं
नई पीढ़ी की लहरों के वेग से
झर रहे हैं निरन्तर
टापू नहीं होंगे तो लहरें
नहीं टकराएँगी
किनारे तक फैल जाएँगी
या फिर किसी भँवर में डूब जाएँगी
स्वतन्त्र होकर कितनी सन्तुलित रह पाएँगी
टापू चिन्तित हैं लहरों के लिए
और लहरें तत्पर हैं टापुओं को समेटने के लिए
शोर कर रही हैं
बार बार टकराती हैं
और हर बार कुछ मिट्टी काट कर अपने साथ ले जाती हैं
चुपचाप रह कर सहना ही नियति है टापुओं की
लहरों का शोर और टापुओं की चुप्पी
इतिहास,वर्तमान और भविष्य की परिणीति !!!