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15 May 2024 · 1 min read

*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*

टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)
_________________________
टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग
शुद्ध हवा के संग में, खुल जाऍंगे अंग
खुल जाऍंगे अंग, स्वास्थ्य उत्तम पाऍंगे
देह और मन प्राण, सुगंधित हो जाऍंगे
कहते रवि कविराय, कष्ट थोड़ा-सा सह लें
सुबह उठें कुछ शीघ्र, पार्क में जाकर टहलें
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451

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