Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2024 · 2 min read

झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??

झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ
पूछो झंडा कहां लगाऊं, बोलो साहब कहां लगाऊं!!

तेरी इसकी उसकी सबकी यादें सभी अधूरी है
सपने सच होने बाकी हैं रावी की शपथ न पूरी है।
अच्छे दिन के सारे सपने बिखरे हैं फुटपाथों पर
झेलम का पानी है आतुर , होने को जैसे पत्थर
कंकर कंकर में शंकर है मां नर्मदा के ख्याति से
गौ माता की चीखें आई क्यों है, इस परिपाटी से।
किस पल्लव को पुनः खिलाऊं,
किस विप्लव का दिया जलाऊं
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ
पूछो झंडा कहां लगाऊं, बोलो साहब कहां लगाऊं!!

देखा है मैंने तो कल भी,इन भोपाली सड़कों पर
सिक्का सिक्का मांग रहे हैं भूखी आंतें हिलता कर
वस्त्र की कीमत उनसे पूछो ,जिनका छत ही है अंबर
श्वेत दुशाला ओढ़े फिरता चप्पा चप्पा में विषधर
मंत्री संत्री सत्ता लोभी संसद से जंतर मंतर
जो विपक्ष है उसको छोड़ो,प्रश्न करो प्रति पक्षों से
कहां गए हैं अच्छे दिन पूछो छपन्न के वक्षों से
नव विप्लव की आस लिया हूं कहां कहां अग्नि सुलगाऊं?
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ
पूछो झंडा कहां लगाऊं, बोलो साहब कहां लगाऊं!!

देश लूटा दो किंतु सुन लो पुरखो को सम्मान मिले…
झोपड़ियों तक पानी पहुंचे, बच्चों को पकवान मिले
चौबीस वर्षो तक जन गण को उन्नत शिक्षा दान मिले।
वैदिक युग के भांति घर घर सत्य शांति अनुदान मिले।
अनुशासन के प्रवर क्षेत्र में संस्कार समृद्ध रहे।
सेवा से आनंदित होकर हर्षित मोहित वृद्ध रहे।
मनुस्मृति के नियमों का ,बोलो तो सब सार सुनाऊं।
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ।

अपने अंश के अधिकारों को प्राप्त करे अनुरंजित हो
मानव मानव होवे खातिर स्वयं स्वयं अनुबंधित हो।
शांति सत्य के आयामों से यह धरती अच्छादित हो।
राष्ट्र गान का सिंधु अपने नक्शा में प्रतिपादित हो
भारत के इस पवित भूमि पर गौ हत्या प्रतिबंधित हो।
सकल विश्व के संचालन हित हिंदू राष्ट्र स्थापित हो
एक एक मिल ग्यारह होंगे तुम आओ तो गले लगाऊं
अपने दिल में दिया जलाऊं,सूरज पर झंडा लहराऊं।

©®दीपक झा “रुद्रा”

3 Likes · 71 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
आनंद प्रवीण
रिश्ते समय रहते बचाएं
रिश्ते समय रहते बचाएं
Sonam Puneet Dubey
पसीना पानी देता मुझको,
पसीना पानी देता मुझको,
TAMANNA BILASPURI
मन मयूर
मन मयूर
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
हार से भी जीत जाना सीख ले।
हार से भी जीत जाना सीख ले।
सत्य कुमार प्रेमी
kanhauli estate - Ranjeet Kumar Shukla
kanhauli estate - Ranjeet Kumar Shukla
हाजीपुर
तुम्हीं हो
तुम्हीं हो
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*
*"परिजात /हरसिंगार"*
Shashi kala vyas
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
Phool gufran
यूँ   ही   बेमौसम   बरसात  हुई।
यूँ ही बेमौसम बरसात हुई।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आने वाले वक्त का,
आने वाले वक्त का,
sushil sarna
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
Dr. Vaishali Verma
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
मां
मां
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्यार का गीत
प्यार का गीत
Neelam Sharma
व्यक्ति को ह्रदय का अच्छा होना जरूरी है
व्यक्ति को ह्रदय का अच्छा होना जरूरी है
शेखर सिंह
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
Dr Archana Gupta
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*नए वर्ष में स्वस्थ सभी हों, धन-मन से खुशहाल (गीत)*
*नए वर्ष में स्वस्थ सभी हों, धन-मन से खुशहाल (गीत)*
Ravi Prakash
मर्यादा की लड़ाई
मर्यादा की लड़ाई
Dr.Archannaa Mishraa
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल
Ranjeet kumar patre
आदिवासी कभी छल नहीं करते
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
जिंदगी
जिंदगी
विजय कुमार अग्रवाल
"जानिब"
Dr. Kishan tandon kranti
दीपक और दिया
दीपक और दिया
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अस्थिर मन
अस्थिर मन
Dr fauzia Naseem shad
Loading...