झूठ से दामन
यूँ ही अपना न बनाया किजिये
झूठ से दामन बचाया किजिये
दुनिया मजबूरी मे ढूंढे फायदा
वक्त बेवक्त मुस्कुराया किजिये
जन्म से ही सिख जाते है रोना
दूसरो को भी हंसाया किजिये
विनतो से मिला है जन्म ये जो
वतन के भी काम लाया किजिये
बन गए मुसाफिर इस भागदौड़ मे
वक्त मां बाप संग बिताया किजिये
सुकून कब बुराईयों से है मिला
दुसरो की दुआ मे समाया किजिये