झूठ देख इंकार न कर
झूठ देख इंकार न कर…
झूठ देख इंकार न कर
बेमतलब टकरार न कर…
हो संवेदनशील नहीं
उत्तम वह सरकार न कर…
लूट रहे है जो जन को
उनपे और विचार न कर…
गर ढोंगी खद्दरधारी
उनका कभी प्रचार न कर…
जिनका ऊंचा सिंहासन
घर उनके दरबार न कर…
करता जो विश्वास अटल
कभी पीठ पर वार न कर…
भले बने दुश्मन दुनियां
मित्र कभी मक्कार न कर…
यदि चद्दर छोटा तन का
फिर लम्बा आकार न कर…
दुश्मन होता है दुश्मन
उसको तू प्यार न कर….
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)