झूठ तुमने दिल से कहा होता
तुम्हारी बातों से भी ये दिल खुश होता
जो कही झूठ तुमने दिल से कहा होता
हम शायर तो वैसे मोहबत के मरीज है
दिल से दवा दी होती तो असर होता
तुम्हारा यूँ बेवजह झुंझला के पड़ जाना
मेरी ज़िंदगी मे मौत का आना सा होता
काश तुम ये बेबफाई हमसे कर देती
सच कहूँ उस पल पथ्थरों पर कहर होता
तुम तो केवल आती और मुस्कुरा जाती
ऋषभ की ज़िंदगी का वो आखिर पल होता