झूठ के बीच पल न पाये हम
झूठ के बीच पल न पाये हम
साथ दुनिया के’ चल न पाये हम
जी रहे लोग जिंदगी दुहरी
रंग में उनके’ ढल न पाये हम
प्रेम बंधन में बँध गए ऐसे
जिन्दगी भर निकल न पाये हम
लोभ की हर तरफ जमी काई
फिर भी देखो फिसल न पाये हम
दर्द तो हर कहीं दिखे हमको
बन के’ आँसू पिघल न पाये हम