झूठी खबर लपेट के
वीआईपी बनने के तलबगार पड़े हैं
संसद भवन में देखिए सरकार पड़े हैं
पेंशन मिलेगी इनको रिटायर हुए बिना
कलयुग में ऐसे ऐसे भी अवतार पड़े हैं
जब से ये मीडिया हुआ सरकार में शामिल
झूठी खबर लपेट के अखबार पड़े हैं
खायेंगे भर के पेट ये कैन्टीन में जबकी
भूखे वतन में कितने ही परिवार पड़े हैं
पहचान हो न पाई गरीबों की अभी तक
झोपड़ियों में अब भी कई आधार पड़े हैं
लाचार यूँ विपक्ष को देखा तो लगा ये
म्यानों में जंग हो रही तलवार पड़े हैं
वेतन के साथ लेंगे माननीय का दर्जा
हम भी तो यही सोच के बेकार पड़े हैं