झुला झूले तीज त्योहार
झुला झूले नंदलाल बृज में, मनाए तीज त्योहार,
सावन के महीने में, चारों ओर फूल-बहार।
शिव – पार्वती के मिलन का उत्सव,
स्त्रियों में शृंगार और मेहंदी का महत्व।
हरा – भरा मौसम, श्रावण मास की तृतीया,
मनाए हरियाली तीज, हर युवती करे नृत्य।
पेड़ों पर झूला झूले, ओढ़ हरी ओढ़नी,
शिव जी को प्यारे खीर-मालपुए, घेवर और सुहाली।
सुहागन स्त्रियाँ करें पति की लंबी-उम्र कामना,
कुँवारी कन्या करें योग्य वर की तमन्ना।
कर व्रत-पूजा-साधना, रिझायें भोलेनाथ को,
मंगलकामनाओं के साथ, लें बड़ों के आशीर्वाद को।
अमर रहे पति-पत्नी का प्यार,
यही कामना करती हर नारी इस त्योहार।
पहला सिंधारा ससुराल का,
कपड़ा – गहना, मिठाई और साज-श्रृंगार का।
सिंधारा होता तीज के पहले दिन,
हर लड़की इसका करती इंतजार दिन गिन।
गीत गाती, मेहंदी लगाती और चूड़ियों की खनखनाहट में,
स्त्रियाँ हैं मनाती हरियाली तीज खूब उत्साह में।
झुला झूले नंदलाल बृज में, मनाए तीज त्योहार,
सावन के महीने में, चारों ओर फूल-बहार।