झाँक देख लो दिल में यारो
झाँक देख लो दिल में यारो,
हम कितने है बदल गये,,
जग में बनने क्या आये थे,
क्या से क्या बन आज गये,,
बाट लिया खुद को ही हमने,
महजब की दीवारों में,,
बैर लिये दिल में हम बैठे,
दिखा रहे बाजारों में,,
झाँक देख लो दिल में यारो,
हम कितने है बदल गये…………..
बहा लहू हम अपनों का ही,
चिराग घरो के बुझा दिये,,
कितनी ही आँखों से हमने,
सारे सपने चुरा लिये,
झाँक देख लो दिल में यारो,
हम कितने है बदल गये…………..
खेला महजब की बिसात पर,
कितनों की अस्मत से,,
दिये जख्म एेसे जो ना थे,
मिलने वाले किस्मत से,,
झाँक देख लो दिल में यारो,
हम कितने है बदल गये…………..
पढ़े न गीता कुरान कोई,
मंदिर मस्जिद बना रहे,,
इंसानियत कहाँ खबर नहीं,
बन यहाँ इंसान सभी रहे,,
झाँक देख लो दिल में यारो,
हम कितने है बदल गये…………..
मनिंदर सिंह “मनी”