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20 Nov 2023 · 1 min read

झलक जिंदगी

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मैंने कल एक झलक जिंदगी को देखा,
वो मेरी राह में गुनगुना रही थी …

मैं ढूंढ़ रहा था उसे इधर उधर,
वो ऑंख मिचोली कर मुस्कुरा रही थी …

एक अरसे के बाद आया मुझे करार,
वो थपकी दे मुझे सुला रही थी …

हम दोनों क्यों ख़फा हैं एक दुसरे से,
मैं उसे और वो मुझे बता रही थी …

मैंने पुछा तूने मुझे इतना दर्द क्यों दिया ?
उसने कहाँ मैं जिंदगी हू …

“तुजे जीना सीखा रही थी”

🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂

Language: Hindi
232 Views

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