झरना
झरना
✍✍✍
झरना हँसी का जो हसीन था
नजरों से तेरी महक उठा
बुलबुले जो बने पय से
रूप निखर उठा
मत निर्झरिणी सी तुम
यूँ लहराया करो
बादलों के बीच झाँकती
इन्द्रधनुष सी तुम
बारिश के बीच न आया
तुम करो
यूँ तेरा गर्जन के बीच
याद तेरी दे जाता प्रिये
धधक धधक कर
उठता धुंध सा मेघ
बरबस ही
याद तेरी सुलगा जाता
है प्रिय
डॉ मधु त्रिवेदी