जज़्बात
जज़्बे ग़म बढ़ता है तो टीस बनकर उभरता है।
अल्फ़ाज़ो के नश्तर् दिल को जब घायल करते है क़सक बनकर रह जाते हैं।
जिन्हें हम दिलो जान से चाहते हैं उनकी बेवफ़ाई रूह को तड़पा जाती है।
दोस्तों का भरोसा टूटने पर पशेमाँ हो जाते हैं
ग़म सालता है जब अपने धीरे धीरे साथ छोड़ते जाते है।
ज़ेहन पर छायी एक अजीब सी खामोशी तन्हाईयों में बैचेन करने लगती है।
चारों तरफ पाब्सता माहौल से दिल बदग़ुमा होने लगता है।