Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2020 · 1 min read

ज्योत जगा दो…….

एक गीत जरा गा दो तुम
मुझे प्रीत जरा सीखा दो तुम,
मै हूं माया के दलदल में फंसा
एक रस्सी डाल निकाल लो तुम।।

(यहां “रस्सी” शब्द प्रेम के सागर परमात्मा की अनुकम्पा से है)

मैं भवरो सा मंडराता हूं कहीं
एक पुष्प कहीं खिला दो तुम,
मै हूं माया के दलदल में फंसा
एक रस्सी डाल निकाल लो तुम।

(बिमल रजक)

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
A Beautiful Mind
A Beautiful Mind
Dhriti Mishra
मै ना सुनूंगी
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
तू ही बता, करूं मैं क्या
तू ही बता, करूं मैं क्या
Aditya Prakash
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Sakshi Tripathi
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
* मुस्कुराना *
* मुस्कुराना *
surenderpal vaidya
आखिर क्या है दुनिया
आखिर क्या है दुनिया
Dr. Kishan tandon kranti
"शिलालेख "
Slok maurya "umang"
बच्चे (कुंडलिया )
बच्चे (कुंडलिया )
Ravi Prakash
अपना ही ख़ैर करने लगती है जिन्दगी;
अपना ही ख़ैर करने लगती है जिन्दगी;
manjula chauhan
खुदा सा लगता है।
खुदा सा लगता है।
Taj Mohammad
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
Rajesh Kumar Arjun
के कितना बिगड़ गए हो तुम
के कितना बिगड़ गए हो तुम
Akash Yadav
बस तुम्हें मैं यें बताना चाहता हूं .....
बस तुम्हें मैं यें बताना चाहता हूं .....
Keshav kishor Kumar
आंखो ने क्या नहीं देखा ...🙏
आंखो ने क्या नहीं देखा ...🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फितरत कभी नहीं बदलती
फितरत कभी नहीं बदलती
Madhavi Srivastava
तुम्हीं सुनोगी कोई सुनता नहीं है
तुम्हीं सुनोगी कोई सुनता नहीं है
DrLakshman Jha Parimal
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है
बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है
Sarfaraz Ahmed Aasee
याद में
याद में
sushil sarna
****भाई दूज****
****भाई दूज****
Kavita Chouhan
#सामयिक ग़ज़ल
#सामयिक ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
3173.*पूर्णिका*
3173.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हे मानव! प्रकृति
हे मानव! प्रकृति
साहित्य गौरव
*** मन बावरा है....! ***
*** मन बावरा है....! ***
VEDANTA PATEL
साथ
साथ
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
' समय का महत्व '
' समय का महत्व '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...