ज्ञान दीप
निज मन में ज्ञान दीप जलाकर तो देखिए।
मन पर लगी जो धूल हटाकर तो देखिए।।
सद भाव संस्कार ही जीवन का सार है।
उपकार सत्य नाव बेड़ा भव से पार है।।
अतिशय को अपने मन से मिटाकर तो देखिए।
मन पर लगी जो धूल हटाकर तो देखिए।।
संकल्प धैर्य त्याग करुणा शील प्यार हो।
सन्तोष रूपी धन का ही मन मे गुबार हो।।
साहस से अपनी राह बनाकर तो देखिए।
मन पर लगी जो धूल हटाकर तो देखिए।।
अष्टांग शील सत्य से वह राह मिलेगी
पथ सत्य त्याग का है तो कलिका भी खिलेगी।
सद्ज्ञान सूत्र मन मे बसाकर तो देखिए।
मन पर लगी जो धूल हटाकर तो देखिए।।