ज्ञान दर्शन
उस दिन सवेरे में जब दूध लेने निकला, तो देखता हूं शराब की दुकान के आगे एक बड़ी लंबी लाइन लगी हुई है।
शराब की दुकान अभी खुली भी नहीं थी तो पता चला कल रात से ही यह लाइन लगी हुई है।
और ये सब महानुभाव अपनी तलब पूरी करने की खातिर अपनी नींद तक कुर्बान कर लाइन में लगे हुए हैं।
जबकि इनके बीवी बच्चे राशन का इंतजार करते भूखे पेट घर में बैठे हुए हैं।
इनके लिए बीबी बच्चो खातिर राशन व्यवस्था से ज्यादा शराब जरूरी है।
पूछा तो कहते हैं भूख से ज्यादा लगी तलब पूरी हो ये जरूरी है।
एक महाशय तो शराब के फायदे गिनाने लगे।
हर गम दूर हो जाते हैं दिल खुश हो जाता है।
ना भूख की चिंता , ना बीमारी की चिंता माहौल खुशनुमा बन जाता है।
दूसरे महोदय उनसे भी ज्यादा आगे निकले।
और अपना ज्ञान प्रस्तुत करने लगे।
दुनिया तो अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से बाहरी संक्रमण से बचती है ।
पर शराब तो विषाणु को शरीर के अंदर ही मारकर सेनेटाइज कर बीमारी खत्म कर देती है।
मेरा शासन को सुझाव है कि कोरोना से बचने के लिए जनता को शराब पीना अनिवार्य कर देना चाहिए।
और इस बीमारी को शरीर में पनपने न देकर इसे जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए।
और दवाइयों की खोज मे निवेश की जगह शराब में पैसा लगाकर शराब उत्पादन बढ़ाना चाहिए।
उनके ज्ञान दर्शन से अचंभित हुआ और सोचने लगा ।
जब इस प्रकार का ज्ञान जनसाधारण में प्रसारित होगा।
तो सब देशवासी शराबी होकर वो तांडव मचाएंगे।
कि एक न एक दिन देश का बंटाधार करके ही दम लेंगे।