** ज्ञान जिन्हें न भाया**
** शिक्षक की पीड़ा **
शिक्षा के क्षेत्र में लंबा ,अनुभव मैंने अपना पाया।
वर्तमान में देख रहा हूं ,कैसा युग यह आया।।
आदर्शों की बात बताऊं, ध्यान से जिनको मैं समझाऊं।
कथनों वचनों का, शिष्यों ने मखौल उड़ाया।।
सद नीति की बात करूं मै,अपनी धुन में वे मस्त रहे।
इक सच्चा शिक्षक,व्यवहार ऐसा कैसे सहे।
आधुनिक पीढ़ी की, इस रीति को मै समझ न पाया।।
मात पिता ने शाला भेजा,अच्छे पढ़ कर आना तुम।
विद्यालय में पहुंच के बच्चा ,अपनी मंडली मै हुआ गम।
कैसे सिखाए अनुनय उनको,ज्ञान जिन्हें न भाया।।
राजेश व्यास अनुनय