*ज्ञानी (बाल कविता)*
ज्ञानी (बाल कविता)
ज्ञानीजन होते महान हैं
छूते देखो आसमान हैं
ज्ञानीजन को सब कुछ आता
पर उनको अभिमान न भाता
पढ़-लिखकर ज्ञानी बन जाना
ज्ञान बॉंट कर लेकिन खाना
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451