जो होगी मोहब्बत
जो होगी मोहब्बत तो मिलना भी पड़ेगा
इस दीवाने दिल का हाल सुनना भी पड़ेगा
कब तक छुपाओगे ज़माने से तुम इसे
ज़माने का ताना तो तुम्हें सुनना ही पड़ेगा।।
जब मिल न पाओगे ज़माने के डर से
दर्द जुदाई का फिर सहना ही पड़ेगा
नहीं रोक पाओगे आंखों से आंसुओं को
जुदाई में आंसुओं को बहाना ही पड़ेगा।।
आंसुओं को फिर तुम छुपाओगे कैसे
कुछ तो उन्हें फिर तुम्हें बताना ही पड़ेगा
अब और छुपा नहीं पाओगे तुम भी
मोहब्बत के राज़ से पर्दा हटाना ही पड़ेगा।।
छुपते छुपाते कभी कभी तो तुम्हें
प्यार में अब मुझसे मिलना भी पड़ेगा
इश्क में आते है न जाने कैसे कैसे दौर
जुदाई का गम कभी तो सहना ही पड़ेगा।।
जो पर्दा उठ गया इश्क से तो
ज़माने के सामने भी आना ही पड़ेगा
दर्द के साथ सुकूं देता है जो
प्यार का ये रिश्ता, निभाना ही पड़ेगा।।
गर हो गया ज़माना खिलाफ हमारे
तुम्हें हिम्मत से काम लेना ही पड़ेगा
हो नतीजा कुछ भी हमारे कदम का
बिना डरे साथ मेरा निभाना ही पड़ेगा।।
जो मैं मिल न सकूं कभी तुम्हें तो
मेरी मजबूरियों को समझना भी पड़ेगा
दिल में जगे अरमानों को तेरे
कभी तो थोड़ा ठहरना भी पड़ेगा।।
ये इश्क है नहीं आसान निभाने को
इसमें कई इम्तिहानों को देना ही पड़ेगा
ज़माने की निगाहें होगी तुम पर
इस राह में संभलकर चलना ही पड़ेगा।।
जागना पड़ता है रात रात भर
नींद को तुम्हें छोड़ना भी पड़ेगा
जब आयेगी तुम्हें याद मेरी
कभी खुद को संभालना भी पड़ेगा।।