Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 1 min read

”जो हार गया तू, नाम निशान मिट जाएगा तेरा”

कविता-02
हिम्मत रखना टूटना नहीं,हारना नहीं,
लोग तुझे परेशान बहुत करेंगें,
मगर पीछे तू हटना नहीं।
डटे रहना, खड़े रहना,
वक्त कठिन जरूर है,
मगर तू हिम्मत रखना।
जो टूट गया तू,
जो हार गया तू,
नाम निशान मिट जाएगा तेरा।
ढाल बन कर मुकाबला कर तू
एक दिन विजय होऐगा तू।
ये तो साजिशें हैं गिरानें की तुझे,
सब्र से अपना काम कर तू,
वक्त आने पर जवाब देना तू।
अकेला ही लड़ तू,
किसी से साथ की उम्मीद न कर,
विजय जब तेरी होगी
साथ तेरे सब हो जायेंगें।
खुद को तैयार कर तू,
खुद को सबल बना तू,
ये युद्ध है तेरा
इसका निर्णायाक भी बन तू।

133 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from शिव प्रताप लोधी
View all
You may also like:
नदी किनारे
नदी किनारे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बाबा भीमराव अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस
बाबा भीमराव अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस
Buddha Prakash
छीज रही है धीरे-धीरे मेरी साँसों की डोर।
छीज रही है धीरे-धीरे मेरी साँसों की डोर।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कहता है सिपाही
कहता है सिपाही
Vandna thakur
राजा रंक फकीर
राजा रंक फकीर
Harminder Kaur
Jay prakash dewangan
Jay prakash dewangan
Jay Dewangan
Behaviour of your relatives..
Behaviour of your relatives..
Suryash Gupta
हम तो मर गए होते मगर,
हम तो मर गए होते मगर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चुन्नी सरकी लाज की,
चुन्नी सरकी लाज की,
sushil sarna
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
कुछ देर तुम ऐसे ही रहो
कुछ देर तुम ऐसे ही रहो
gurudeenverma198
रपटा घाट मंडला
रपटा घाट मंडला
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रदीप : श्री दिवाकर राही  का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
प्रदीप : श्री दिवाकर राही का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
Ravi Prakash
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय प्रभात*
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
कुछ लिखूँ.....!!!
कुछ लिखूँ.....!!!
Kanchan Khanna
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
Anand Kumar
ग़ज़ल:- तेरे सम्मान की ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी अब...
ग़ज़ल:- तेरे सम्मान की ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी अब...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
सत्य कुमार प्रेमी
सफल व्यक्ति
सफल व्यक्ति
Paras Nath Jha
2511.पूर्णिका
2511.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ड्यूटी और संतुष्टि
ड्यूटी और संतुष्टि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
श्रीकृष्ण शुक्ल
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
Sanjay ' शून्य'
*अब सब दोस्त, गम छिपाने लगे हैं*
*अब सब दोस्त, गम छिपाने लगे हैं*
shyamacharan kurmi
सुविचार
सुविचार
Neeraj Agarwal
जरूरी और जरूरत
जरूरी और जरूरत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"बुराई की जड़"
Dr. Kishan tandon kranti
गर्भपात
गर्भपात
Bodhisatva kastooriya
Loading...