जो सोया है उसको जगाते चलो
जो सोया है उसको जगाते चलो
जो रूठा है उसको मनाते चलो
सफ़र है सभी मुस्कुराते चलो
क़दम हौसले से बढ़ाते चलो
मिटा दो सभी ख़ार गुलशन से अब
चमन को गुलों से सजाते चलो
जो बेहोश लाओ उसे होश में
जो भटका है रस्ता दिखाते चलो
न हो मनमुटावों की दिल में जगह
सभी भेद मन के मिटाते चलो
न हों नामे-मज़हब पे दंगे यहाँ
सबक़ अम्न का तुम सिखाते चलो
जहाँ सिर्फ़ उल्फ़त हो नफ़रत नहीं
नई एक दुनिया बसाते चलो
शजर पर रहे चहचहाना सदा
परिन्दों को दाना खिलाते चलो
हुनर ये भी ‘आनन्द’ सीखो ज़रा
के अपना सभी को बनाते चलो
– डॉ आनन्द किशोर