जो मुझे याद रहे ऐसी कहानी दे जा
जो मुझे याद रहे ऐसी कहानी दे जा।
जिसे ना भूल सकूं ऐसी निशानी दे जा।
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याद भी आता है रोने भी नहीं देता है।
देखते ही जो बरस जाए वह पानी दे जा।
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लहू का एक-एक कतरा तुझे मुबारक हो।
काम जो मुल्क के आए वह जवानी दी जाए।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच