‘ जो मिलना है वह मिलना है ‘
कुछ पाने की तू चाह न कर,
जो मिलना है वह मिलना है॥
तूं कर ले लाख जतन फिर भी,
गुल खिलना है जब खिलना है॥
कर्तव्य है तेरे हाथों मे,
तू फल को चिंता मत करना।
करनी का फल ही मिलता है,
जैसा करना वैसा भरना॥
है वक्त मुकम्मल हर शय का,
विधि से न कुछ वश चलना है।
कुछ पाने की तू चाह न कर,
जो मिलना है वह मिलना है॥
मत कर ऐसा व्यवहार कभी,
जिससे अफ़सोस पड़े करना।
करना गर पर-उपकार कभी,
बदलें की आश नहीं करना॥
अहसान किया तो भूल उसे,
हमको अहसास पै चलना है॥
कुछ पाने की तू चाह न कर,
जो मिलना है वह मिलना है॥
पुरुषार्थ प्रबल होगा जिसका,
वह भाग्य बदल भी सकता है।
मेहनत का फल मिलता ही है,
कुछ वक्त भले लग सकता है॥
जो बोया है वह ही होगा,
‘अंकुर’ न पौध बदलना है।
कुछ पाने की तू चाह न कर,
जो मिलना है वह मिलना है॥
– ✍️निरंजन कुमार तिलक ‘अंकुर’
जैतपुर, छतरपुर मध्यप्रदेश
मोबाइल नं – 9752606136