Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2021 · 2 min read

जो बोवोगे सो काटोगे

कविता
मैं नहीं सिखाता कभी किसी को ,
पत्नी भक्त कहाओ मत |
मैं कभी नहीं कहता प्यारे,
पत्नी के चरण दबाओ मत ||
पत्नी कहती है तो जाकर ,
खींचो बाहर ठेला गाड़ी |
पत्नी कहती है तो घर में,
फींचो उसकी साया साड़ी||
निज जन्म भूमि को तज कर वह,
तेरे घर में जब आई है |
वह थक जाती तो उसकी सेवा ,
करना कहाँ बुराई है ||
हँस-हँस कर करे इशारा तो ,
झाड़ू भी आप लगा देना |बर्तन भी धोना खुशी-खुशी ,
भोजन भी कभी पका देना ||
पत्नी रोती है तो रोना ,
उसके हँसनें पर लेना |
निज उर में उसे बसाना तुम,
उसके उर में खुद बस लेना ||
पर याद रहे निज मात पिता को,
हरगिज भूल न जाना तुम |
उनकी सेवा खुद भी करना ,
पत्नी से भी करवाना तुम ||
यदि मात पिता को जिंदा पर ,
तुम पानी नहीं पिलाओगे |
तब ध्यान रहे तुम भी पानी ,
मरणोपरांत ही पाओगे ||तेरा विचार घर के बुजुर्ग को ,
वृद्धाश्रम पहुँचाना है |
तब भूल न जाना तुमको भी कल,
वृद्धाश्रम में जाना है ||
मेरे प्यारे निज खेतों में गर ,
तुम बबूल उपजाओगे |
कर लो विचार तब स्वयं रसीले ,
आम कहाँ से खाओगे |
इस धरती पर निज मात-पिता का,
है तुम पर उपकार बहुत |
उस मात-पिता से पाए हो,
बचपन से अब तक प्यार बहुत ||
माता से बढ़कर दुनिया में,
हितकारी और न कोई है ||
मेरे भैया नौ माह कोख में ,
माँ ही तुझको ढोई है ||
तुम याद करो माँ तुम्हें दुखित ,
जब भी देखी है रोई है|
माँ तुझे खिलाकर खाई है,
माँ तुझे सुलाकर सोई है ||
फिर बात पिता की आती है,
तो भाई पिता निराले हैं |
सोचो मन में कितनी कठिनाई ,
से वे तुमको पाले हैं |सिर पर परिजन का बोझ उठाकर ,
कहाँ – कहाँ तक भटके हैं |
खुद टूट गए हैं फिर भी बोझा,
कहीं नहीं वे पटके हैं ||
पर आज बुजुर्ग हुए हैं तो ,
निज तन ढोना ही भारी है |
कल तक उपकार किए थे वे,
भाई अब तेरी बारी है ||कल तक वे ढोते थे तुझको,
तो आज तुझे भी ढोना है |
अब उन्हें खिलाकर खाना है,
अब उन्हें सुला कर सोना है ||
हे औलादों तुम अंत समय में ,
असली साथी बन जाओ |
तन, मन, धन से तुम बूढ़े मात,
-पिता की लाठी बन जाओ ||
ऐसा करके भाई मेरे ,
तुम जग में पुण्य कमाओगे |
फिर स्वयं बुढ़ौती में इसका फल ,
निज बच्चों से पाओगे ||
आशा है अवधू की अरजी को ,
कभी नहीं तुम छाँटोगे |
सीधा प्रमाण है दुनिया में,
जो बोवोगे सो काटोगे ||

अवध किशोर ‘अवधू’
ग्राम- बरवाँ (रकबा राजा)
पोस्ट -लक्ष्मीपुर बाबू
जनपद -कुशीनगर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल नंबर 9918854285

Language: Hindi
226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
नेताम आर सी
विडम्बना और समझना
विडम्बना और समझना
Seema gupta,Alwar
सोनेवानी के घनघोर जंगल
सोनेवानी के घनघोर जंगल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
Bidyadhar Mantry
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
If you ever need to choose between Love & Career
If you ever need to choose between Love & Career
पूर्वार्थ
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्रथम मिलन
प्रथम मिलन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किरणों का कोई रंग नहीं होता
किरणों का कोई रंग नहीं होता
Atul "Krishn"
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Bodhisatva kastooriya
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
सत्य कुमार प्रेमी
तुम याद आये !
तुम याद आये !
Ramswaroop Dinkar
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
Priya princess panwar
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
हरवंश हृदय
विश्वास
विश्वास
Paras Nath Jha
मदर इंडिया
मदर इंडिया
Shekhar Chandra Mitra
चल फिर इक बार मिलें हम तुम पहली बार की तरह।
चल फिर इक बार मिलें हम तुम पहली बार की तरह।
Neelam Sharma
3248.*पूर्णिका*
3248.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कन्या रूपी माँ अम्बे
कन्या रूपी माँ अम्बे
Kanchan Khanna
"बल और बुद्धि"
Dr. Kishan tandon kranti
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
समय से पहले
समय से पहले
अंजनीत निज्जर
तू होती तो
तू होती तो
Satish Srijan
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
Lokesh Singh
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
Dr MusafiR BaithA
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
Dr Archana Gupta
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
Vindhya Prakash Mishra
सत्य क्या है?
सत्य क्या है?
Vandna thakur
एक ही नारा एक ही काम,
एक ही नारा एक ही काम,
शेखर सिंह
Loading...