फिर कोई बेटी हँसी है क्या
जो बचपन में चला करती थी वो फिर से चली है क्या
वही सोंधी सी इक खुशबू हवा में फिर घुली है क्या
नजारा देखते गुजरा है बचपन बारिशों वाला
मगर अब पूछते फिरते हैं के बूँदें गिरी हैं क्या
बिखर आए हैं हरसिंगार के कुछ फूल धरती पर
बहुत दिन बाद शायद फिर कोई बेटी हँसी है क्या
बड़ा खुश हो गया बच्चा अचानक पोछकर आँसू
कोई पक्षी, कोई जुगनू, कोई तितली दिखी है क्या
लगाए थे करोड़ों पेड़ जो कुछ रोज पहले ही
जरा पूछो तो पेड़ों की अभी पत्ती हरी है क्या
गुरूर इतना भला क्यों पालकर बैठे हुए हो तुम
अमाँ सोचो के बारिश में कभी मिट्टी बची है क्या
चले जाते मगर कुछ पल ठहर कर सोच तो लेते
किसी के आने जाने से कभी दुनिया रुकी है क्या
हवा में आॅनलाइन हो के सच को आॅफ कर देना
के सोशल मीडिया वाली ये दुनिया सिरफिरी है क्या
बड़े दिन बाद आईं हिचकियाँ इस दौर में ‘संजय’
तरंगे याद वाली फिर किसी दिल से उठी हैं क्या