Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2020 · 1 min read

फिर कोई बेटी हँसी है क्या

जो बचपन में चला करती थी वो फिर से चली है क्या
वही सोंधी सी इक खुशबू हवा में फिर घुली है क्या

नजारा देखते गुजरा है बचपन बारिशों वाला
मगर अब पूछते फिरते हैं के बूँदें गिरी हैं क्या

बिखर आए हैं हरसिंगार के कुछ फूल धरती पर
बहुत दिन बाद शायद फिर कोई बेटी हँसी है क्या

बड़ा खुश हो गया बच्चा अचानक पोछकर आँसू
कोई पक्षी, कोई जुगनू, कोई तितली दिखी है क्या

लगाए थे करोड़ों पेड़ जो कुछ रोज पहले ही
जरा पूछो तो पेड़ों की अभी पत्ती हरी है क्या

गुरूर इतना भला क्यों पालकर बैठे हुए हो तुम
अमाँ सोचो के बारिश में कभी मिट्टी बची है क्या

चले जाते मगर कुछ पल ठहर कर सोच तो लेते
किसी के आने जाने से कभी दुनिया रुकी है क्या

हवा में आॅनलाइन हो के सच को आॅफ कर देना
के सोशल मीडिया वाली ये दुनिया सिरफिरी है क्या

बड़े दिन बाद आईं हिचकियाँ इस दौर में ‘संजय’
तरंगे याद वाली फिर किसी दिल से उठी हैं क्या

184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

प्रार्थना
प्रार्थना
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
इंसान कैसा है?
इंसान कैसा है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
Radheshyam Khatik
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
Jyoti Roshni
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
कहाँ लोग सुनेला
कहाँ लोग सुनेला
आकाश महेशपुरी
कलमकार का दर्द
कलमकार का दर्द
RAMESH SHARMA
#कहानी- (रिश्तों की)
#कहानी- (रिश्तों की)
*प्रणय*
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
3761.💐 *पूर्णिका* 💐
3761.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
डी. के. निवातिया
मनोकामना
मनोकामना
Mukesh Kumar Sonkar
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
Pranav raj
दिल से निकले हाय
दिल से निकले हाय
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ज़िंदगी तेरी हद
ज़िंदगी तेरी हद
Dr fauzia Naseem shad
ऐ ज़िंदगी।
ऐ ज़िंदगी।
Taj Mohammad
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
gurudeenverma198
काश तुम आती मेरी ख़्वाबों में,
काश तुम आती मेरी ख़्वाबों में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डर लगता है।
डर लगता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
Lohit Tamta
व्यवहारिकता का दौर
व्यवहारिकता का दौर
पूर्वार्थ
चुन लेना
चुन लेना
Kavita Chouhan
"बहरापन"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे लफ़्ज़ों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे लफ़्ज़ों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
The darkness engulfed the night.
The darkness engulfed the night.
Manisha Manjari
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आबाद सर ज़मीं ये, आबाद ही रहेगी ।
आबाद सर ज़मीं ये, आबाद ही रहेगी ।
Neelam Sharma
मुझे हसरतों ने रुलाया
मुझे हसरतों ने रुलाया
Trishika S Dhara
वर्ल्ड रिकॉर्ड
वर्ल्ड रिकॉर्ड
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...