जो प्यार देगा यहाँ प्यार मे खिलेगा भी।
गज़ल
1212…..1122…..1212…..22
जो प्यार देगा यहाँ प्यार मे खिलेगा भी।
सरे जहान मे खुशबू की तर्ह होगा भी।
यहाँ खिली है जो बगिया वो प्यार से महकी,
बिना भी प्यार के सहरा मे फूल खिलता भी।
यहाँ तो लोग लिए दर्द खुद का रोते हैं,
वही है मर्द जो गैरों के दर्द सहता भी।
फिदा जो देश पर होकर गया है दुनियां से,
बुढ़ापे का था वही एक बस सहारा भी।
भरा पड़ा है करोड़ों का माल चोरी का,
यहाँ जमीर भी इंसान का है बिकता भी।
पढ़ा लिखा के मिला क्या पिता व माता को,
रहे अकेले ही घर से गया है बेटा भी।
सभी को बांट लो जब तक जहां मे हो प्रेमी,
दिया है प्यार तो तुमको भी प्यार मिलता भी।
…….✍️प्रेमी