जो दिल के पास होता है (गीतिका
जो दिल के पास होता है (गीतिका )
———————————————-
(1)
गिले-शिकवे उसी से हैं जो दिल के पास होता है
उसी से रूठते हैं हम ,जो अक्सर खास होता
है
(2)
भरोसा हर किसी के साथ लोगों का नहीं
जुड़ता
बरतते जिंदगी भर हैं तो फिर विश्वास होता है
(3)
अगर पिंजरे से निकला तो ,फिर क्या-क्या न नापेगा
परिंदे के लिए संपूर्ण नभ आवास होता है
(4)
मजाकें हर किसी के साथ हर कोई नहीं
करता
जिसे अपना समझते हैं उसी से हास होता है
(5)
किसे मालूम है मरकर कहाँ जाती हैं
आत्माएँ
वहाँ किस भाँति सुख-दुख का उन्हें आभास होता है
(6)
गगन में काले बादल की मजेदारी के क्या
कहने
बरसती हैं जो बूँदें तो सहज उल्लास होता है
(7)
बदलते मौसमों के रंग जादू जैसे लगते हैं
गगन को देखकर अदृश्य का आभास होता
है
(8)
मिली सौ साल की ज्यादा से ज्यादा जिंदगी
हमको
विधाता के नियम का आदमी हर दास होता
है
(9)
अमीरों की सभी बातें सभी को अच्छी लगती
हैं
जमाने से गरीबों का सदा उपहास होता है
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451