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21 Jul 2021 · 1 min read

जो जल रहा है वो दीपक बुझा नहीं सकते।

गज़ल
काफ़िया- आ स्वर
रदीफ- नहीं सकते
मुफाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फेलुन
1212 1122 1212 22

हमारे प्यार को तुम यूँ भुला नहीं सकते।
जो जल रहा है वो दीपक बुझा नहीं सकते।

नहीं हुआ जो अगर प्यार तो खुदा जाने,
बढ़ेगा प्यार तो उसको दबा नहीं सकते।

तुम्हारे साथ नहीं हम कभी चले तो क्या,
समझ न ये कि हम कदम मिला नहीं सकते।

पता नहीं कि चमन सूख क्यों गया मेरा,
कि बार बार इसे हम खिला नहीं सकते।

किया है प्यार तुम्हें मैंने जिंदगी दे कर,
तुम्हें नजर से कभी हम गिरा नहीं सकते।

किसी भी काम की दौलत वो है नही यारो,
किसी गरीब के खातिर लुटा नहीं सकते।

तू अपने हाथ से अब और मत पिला साकी,
जो जामे इश्क नज़र से पिला नहीं सकते।

यही वो प्यार बनाता जो हीर औ राझा,
अगर न प्यार हो प्रेमी बना नहीं सकते।

……✍️ प्रेमी

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