जिस तरह से बिना चाहे ग़म मिल जाते है
तुमसे बेहद प्यार करता हूँ
रास्ते फूँक -फूँककर चलता है
आम का मौसम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मंगल मूरत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
*आई बारिश घिर उठी ,नभ मे जैसे शाम* ( *कुंडलिया* )
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
दोहे बिषय-सनातन/सनातनी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
महावीर उत्तरांचली आप सभी के प्रिय कवि
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
छोड़ जाते नही पास आते अगर
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--