Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2023 · 1 min read

– जो इश्क करता है फिर वो कुछ नही करता –

– जो इश्क करता है फिर वो कुछ नही करता –
जो कुछ भी नही करता ,
वो इश्क करता है,
जो इश्क करता है,
वो सिर्फ इश्क के सिवा कुछ नही करता,
इश्क के बिना उसको न कोई दिखता है,
न ही उसे कोई दिखाई देता है,
चारो तरफ चारो दिशाओं में उसे बस इश्क ही दिखता है,
इश्क के रोगी की नही कोई दवा है,
इश्क के रोगी का इलाज सिर्फ इश्क से ही मिला है,
इसलिए कहता है भरत जो इश्क करता है,
फिर गहलोत वो कुछ भी नही करता है,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तुलसी न होते तो न, होती लोकप्रिय कथा (घनाक्षरी)
तुलसी न होते तो न, होती लोकप्रिय कथा (घनाक्षरी)
Ravi Prakash
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
मेरे लिए
मेरे लिए
Shweta Soni
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
मूल्य
मूल्य
Dr. Kishan tandon kranti
"" *गीता पढ़ें, पढ़ाएं और जीवन में लाएं* ""
सुनीलानंद महंत
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पिछले पन्ने 6
पिछले पन्ने 6
Paras Nath Jha
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
समय और स्त्री
समय और स्त्री
Madhavi Srivastava
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
Sapna Arora
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Dr. Vaishali Verma
अदरक वाला स्वाद
अदरक वाला स्वाद
गुमनाम 'बाबा'
2764. *पूर्णिका*
2764. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
Phool gufran
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
कविता
कविता
Alka Gupta
वक्त यूं बीत रहा
वक्त यूं बीत रहा
$úDhÁ MãÚ₹Yá
विचार और भाव-2
विचार और भाव-2
कवि रमेशराज
परिश्रम
परिश्रम
Neeraj Agarwal
हाथ की लकीरें
हाथ की लकीरें
Mangilal 713
हिंदी है पहचान
हिंदी है पहचान
Seema gupta,Alwar
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
Sonam Puneet Dubey
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
बस कट, पेस्ट का खेल
बस कट, पेस्ट का खेल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ज़हर क्यों पी लिया
ज़हर क्यों पी लिया
Surinder blackpen
#आज_का_सबक़
#आज_का_सबक़
*प्रणय प्रभात*
मानव जीवन की बन यह पहचान
मानव जीवन की बन यह पहचान
भरत कुमार सोलंकी
Loading...