जो आता है मन में उसे लफ्जों से सजाती हूं,
जो आता है मन में उसे लफ्जों से सजाती हूं,
अपनी कविता में दिल की बात बताती हूं।
जमीन पर पांव नहीं टिकते हैं मेरे कभी,
तो मैं खुले आसमान में भी उड़ जाती हूं।
इश्क है मुझे उनसे बेपनाह इसलिए ,
मैं शमा की तरह जल जाती हूं।
ये गुलशन बेहद पसंद है मुझे तभी तो,
बार बार तितली बन यहां मंडराती हूं।
हां मैं दीवानी हूं तेरी सच में मानती हूं,
हरदम प्यार के गीत सुनाती हूं।