जो अगर..
जो अगर
बिखर भी जाऊँ टूट कर
तो भी..
क्या कुछ ख़ास होगा
मुमकिन है
चंद आँखे हों पुरनम
कुछ आ भी जाएंगे
तबसिरा करने को
मेरी जिंदगी पर,
कुछ बेचैनी से
इन्तजार करेंगे जनाज़ा उठने का
वक़्त ए फ़ुरसत कब है अब लोगों को
जो बैठ मेरे पास दुआ कर लें
मेरी रूह को सुकून मिलने का
हिमांशु Kulshreshtha