जोगीरा
आप सभी को वसंतोत्सव पर्व होली की अनंत शुभकामनाएंँ
होली के रंग अपनों के सङ्ग…… बुरा न मानो होली है
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(०१) प्रिय अनुज Prabuddh Kashyap Bodh जी
मग में मदिरा घोल कर, पान करें प्रबुद्ध।
घरनी बेलन लै चढ़ी, कहते जल यह शुद्ध।
कहते जल यह शुद्ध, गजब है महिमा न्यारी।
क्षमादान दो आज, रहूंगा सदा आभारी ।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर……….
(०२) प्रिय अनुज पंं.आशीष अविरल चतुर्वेदी ‘रसराज’ जी
होली के हुड़दंग में, सराबोर रसराज।
चिमटा बेलन से हुआ, घर में स्वागत आज।
घर में स्वागत आज, सोच में पड़े कन्हैया।
सिहर गया है गात, कर रहे तांता थैया।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर……………..
(०३) प्रिय अनुज अरविन्द त्रिवेदी जी
ताजमहल में ढूँढते, त्रिवेदी मुमताज।
मिले शरद सी सुन्दरी, खुद बनते ऋतुराज।
खुद बनते ऋतुराज, लगाते रंग अबीरा।
कहें किसे अरविन्द, वक्ष से रिसती पीड़ा।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर……………
(०४) पूज्य अग्रज श्री अनिल कुमार शुक्ल ‘अनिल’ जी
तिरछी नैनन से लखें, नित्य नवेली नार।
किन्तु भाभी से डरें, टपके केवल लार।
टपके केवल लार, जगत यह नहीं सुहाता।
साड़ी से है चीढ़, घांघरा इन्हें लुभाता।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर………क्षमा सहित 🙏
(०५) परम प्रिय मित्र Mahesh Bisoriya जी
सदा पड़ोसन पे रीझे, अपने भाई महेश।
कहते जो यह मिल गयी, छोड़ चलूंगा देश।
छोड़ चलूंगा देश, इसे मैं अरब खुमाऊँ।
नित नूतन पकवान, बनाऊँ इसे खिलाऊँ।।
(०६) आदरणीया दी मनोरमा जैन ‘पाखी’ जी
‘पाखी’ दी चिंतित लगें, ठनी सजन से रार।
कारण बलमा ताड़ते, घर बाहर पर नार।
घर बाहर पर नार, डोलते बने कन्हैया।
व्याकुल दीदी आज, बीगड़ गये इनके सैंया।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर……..क्षमा सहित 🙏
(०७) प्रिय मित्र Yogi Ramesh Kumar जी
खाकर गोली भंग की , बदल लिया है भेष।
बौराये से घुमते, योगी मित्र रमेश।
योगी मित्र रमेश, चित्र इनका बहुरंगा।
खा बेलन की मार, कहें सब चंगा- चंगा।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर…………. 😛🙏
(०८) प्रिय अनुज Kaviranjan Madhukar जी
कविरंजन कर जोड़ खड़े, डरा हो जैसे भूत।
घरनी बेलन लै चढ़ी, कहे ससुर के पूत।
कहे ससुर के पूत, वक्ष की खिड़की खोले।
देख कली कचनार, नित्य भँवरा बन डोले।।
जोगीरा सररर, जोगीरा सररर……………..😛🙏
(०९) प्रिय मित्र राहुल कुमार विद्यार्थी जी
राहुल जी विद्यार्थी, छोड़ चले घरबार।
भंग चढ़ाने पर हुआ, बेलन से सत्कार।
बेलन से सत्कार, पहन कर नाचे घांघरा।
देख रूप बिकराल, किये कल घर में भांगड़ा।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर…………………😃
(१०) परम प्रिय मित्र Akhilesh Soni जी
सुन्दरियों पर नित्य रचें, ग़ज़ल सुघर संदेश।
किन्तु पत्नी से डरें, मित्र प्रिय अखिलेश।
मित्र प्रिय अखिलेश, काटते घर में सब्जी।
भाभी जी खुशहाल, खेलतीं बैठी पब्जी।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर…………🙏🙏
(११) आदरणीय अग्रज L.N. Kosti जी
कोस्टी जी रचते सदा, गीत ग़ज़ल अरु छंद।
छंदों में भँवरा सदृश, ढूँढ रहे मकरंद।
ढूँढ रहे मकरंद, भाभी ने बात ये ताड़ा।
कान पकड़ तत्काल, आज है इन्हें लताड़ा।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर…………..🙏🙏
(१२) परम प्रिय मित्र मनोज कुमार श्रीवास्तव जी
भंग चढ़ा कर ढंग से, हुल्लड़ करें मनोज।
भाभी जी ने प्यार से, दिया इन्हें फिर डोज।
दिया इन्हें फिर डोज, हृदय में घाव है गहरा।
घर में भाई बंद , लगा घर बाहर पहरा।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर………………..♥️🌹
(१३) आद. दी अनुराधा पाण्डेय जी
अनुराधा दी आज तो, रंगी पिया के रंग।
किन्तु साजन सुन्न है, पी कर आये भंग।
पी कर आये भंग, हुआ फिर गजब बखेड़ा।
बेलन से फिर आज, बनाया इनका पेड़ा।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर………….🙏क्षमा सहित
(१४) परम आदरणीय अग्रज श्री मनोज द्विवेदी जी
अग्रज वर्य मनोज जी, रचते सुंदर छंद।
किन्तु इसका सुत्र यहीं, नित्य चढायें भंग।
नित्य चढ़ायें भंग, यहीं से संबल मिलता।
गीत ग़ज़ल या छंद, सदा फिर इनका खिलता।।
जोगीरा सररर जोगीरा सररर………..🙏🙏 क्षमा सहित
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’