जोगिरा सारा रा रा रा………..
होली की कविता
अब तु ही बता
ना कोई मेरी खता
मेरा प्यार जता
होली आई
रंगों में डूबा त्यौहार लिए
खुल गया खुशियों का पिटारा
जोगिरा सारा रा रा……….
होली आई
मस्ती की भरी बौछार लिए
जमघट में फूटी भांग की धारा
जोगिरा सारा रा रा…………..
होली आई
अपनेपन का मौसम धुंआधार लिए
मिट गया भेदभाव का नारा
जोगिरा सारा रा रा………….
होली आई
सबसे मिलन का प्यार लिए
एक हो गया जग सारा
जोगिरा सारा रा रा………..
होली आई
मौसम मधुर बसंत बहार लिए
हर कोई दिल अपना हारा
जोगिरा सारा रा रा…………..
होली आई
अबीर, गुलाल की पतवार लिए
रंगों से ढक गया चेहरा न्यारा
जोगिरा सारा रा रा…………..
होली आई
फागुन की मदमस्त बयार लिए
होली के हुड़दंग का देखो नजारा
जोगिरा सारा रा रा…………
होली आई
फाग गीतों की कतार लिए
सात रंग भी करें यही इशारा
जोगिरा सारा रा रा…………
होली आई
गाली गलौज और हाहाकार लिए
देखिए बिगड़े ना नाता प्यारा
जोगिरा सारा रा रा………….
होली आई
घृणा को मारने का औजार लिए
शत्रु कहे अब गले लग यारा
जोगिरा सारा रा रा………….
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.