जोकर
मै बात पते की कहता
जीवन सरकस है होता।
रास रचाता मन बहलाता
पर सदा मै जोकर कहलाता ।।
तरह तरह का स्वांग रचाता
कभी हसाता कभी रुलाता।
दुनिया की तस्वीर बदलता
पर सदा मै जोकर कहलाता ।।
सब मर्जो की दवा बन जाता
दूजे होठों पर हॅऺसी खिलाता।
खुद सीने में दर्द छिपाता
पर सदा मै जोकर कहलाता।।
ऊच नीच का पाठ पढ़ाता
वाह्य आडम्बर का भेद मिटाता।
नये युग का सूत्रपात मै करता
पर सदा मैं जोकर कहलाता।।
दूजा हॅ॑स ले मै तमाशा बन जाता
हस कर मै सारा दुख सह जाता।
खुद हारकर जीत की रीत चलाता
पर सदा मै जोकर कहलाता ।।
जीवन कटता हसता और हसाता
उम्मीदों का कंधो पर बोझ उठाता।
नवजीवन का उल्लास जगाता
पर सदा मै जोकर कहलाता ।।
“””””””””””सत्येन्द्र बिहारी””””””””””””