जोकर तु (मुक्तक)
आँखे दोनों सही से देखे फिर भी खाता ठोकर तु ,
ज्ञान है पुरा फिर भी रहता मूरख जैसा होकर तु ,
ज्ञानी की संगत ना करता मुर्खो से तु प्रीत करे ,
“कान्हा रसिया” कहता मानव होकर भी है जोकर तु।।
?सर्वाधिकार सुरक्षित ?
कान्हा सोनी…… ✍
आँखे दोनों सही से देखे फिर भी खाता ठोकर तु ,
ज्ञान है पुरा फिर भी रहता मूरख जैसा होकर तु ,
ज्ञानी की संगत ना करता मुर्खो से तु प्रीत करे ,
“कान्हा रसिया” कहता मानव होकर भी है जोकर तु।।
?सर्वाधिकार सुरक्षित ?
कान्हा सोनी…… ✍