जै जै जग जननी
जग जननी ,सकल जगत संसार माँ
दुःख हरणी ,मंगल करनी ,तू तारण
हार माँ।।
जग जननी, सकल जगत संसार माँ।।
दुष्ट विनासक, भय भव भंजक
पल, प्रहर अविरल युग प्रवाह माँ।।
जग जननी, सकल जगत संसार माँ।।
पाप विनासनी मोक्ष दायनी
जगत कल्याण माँ।
जग जननी ,सकल जगत संसार माँ।।
अपराध क्षामं करती, चाहे जो भी
हो गलती तेरी ही संतान युग संसार माँ।।
माँ तेरी महिमा ब्रह्मा, विष्णु, शंकर
गाये तेरी महिमा अपरंपार माँ।।
जग जननी ,सकल जगत संसार माँ।।
देवोँ की देवी स्वर्ग, नर्क, उद्धार माँ।।
माँ धन ,बैभव, शुख, संपत्ति दाता
तेरी महिमा जो नित गावे सकल मनोरथ पावे भव सागर से तू ही करती बेड़ा पार माँ।।
स्वांस प्राण आधार माँ जग जननी ,सकल जगत आधार माँ।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर उत्तर प्रदेश गोरखपुर