जैवविविधता नहीं मिटाओ, बन्धु अब तो होश में आओ
धरा बनाई ईश्वर ने, जीवन को अंजाम दिया
नाना जीव बनाए और धरती पर स्थान दिया
जलचर थलचर नभचर, वनस्पतियों से हरा भरा किया
एक दूसरे के प्रतिपूरक, जैवविविधता को साकार किया
स्वार्थ अंधता में मानव ने, जीवों का संहार किया
नामोनिशान मिटा जीवों का, जीवन संकट में डाल दिया
जीवन चक्र मिटा पृकृति का,खुद को संकट में डाल लिया
जैवविविधता से धरती पर, जीवन चक्र ये चलता है
जलवायु मौसम परिवर्तन, संतुलन बनाए रखता है
खबरदार इंसान भूलकर, जैवविविधता नहीं मिटाना
जैवविविधता मिटी अगर, मुश्किल हो जाएगा जीना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी