जैंसा जीवन चाहिए, उद्यम करें विचार
दैवीय मानवीय पाशवीय, मिश्रण मनुज शरीर
देव मनुज और दैत्य सब, वसते मनुज शरीर
सत रज तम की युति ,मति अनुसार शरीर
मानवोचित आचरण, अच्छा अहार विहार
भरा हुआ मानवता से, सुसंस्कृत संस्कार
मात पिता गुरु का आदर,सम देखें संसार
मानवीय ये मूल्य हैं,साधु करें विचार
जप तप नेम और साधना,सद कर्मों से प्यार
परहित में निरत सदा, दैवीय पुरुष को सार
नीति नियम मानें नहीं,मनोकूल व्यवहार
असामाजिक तत्व है, पाशविक वृत्ति अनुसार
ईर्षा द़ेष हिंसा कुसंग दुर्व्यसन,पाशवीय संसार
जैंसा जीवन चाहिए, उद्यम करें विचार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी