जेएनयू में हिंसा निंदनीय
जेएनयू में हिंसा निंदनीय
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शैक्षिक संस्थानों में हिंसा,निंदा का ही आग़ाज़ करे।
अप्रिय कारण ही ठीक सही,पर कैसे कोई नाज़ करे।।
असमाजिक तत्त्वों का आना,
गुरु-शिष्यों का पीटा जाना,
शर्मनाक-सी ये घटना है,
काम यहाँ तो बस पढ़ना है,
सरकार कड़े निर्णय लेकर,सख़्त खरा हर अंदाज़ करे।
पुलिस प्रशासन चेते अब तो,उन गुंडों का ईलाज़ करे।।
जेएनयू एक नाम बड़ा,
पर प्रश्न चिह्न है लिए खड़ा,
एक अखाड़ा ना बन जाए,
राजनीति गर ये छू पाए,
मात-पिता भेजे बच्चे को,पढ़के वो नभ परवाज़ करे।
हालात हुए हैं पर ऐसे,गुंडागर्दी ही ताज़ धरे।।
नक्सलियों का गुणगान कभी,
आतंकवाद का मान कभी,
ये छात्र हितों की बात नहीं,
राजनीति की है घात कहीं,
छात्रसंघ समझें अब सारे,कोई उनपर ना राज करे।
शिक्षा ही लक्ष्य उचित होगा,राम पढ़े और नमाज़ करे।।
बदनामी हो बाहर भीतर,
घृणित यही घटनाएँ लेकर,
देश दलो समझो इतना-सा,
जग भार लिए तुम कितना-सा,
अपराधी कौन हुआ होगा,कौन यहाँ पर है लाज करे।
विनती छात्रों से “प्रीतम” की,संस्कारों में रहके काज करे।।
–आर.एस.प्रीतम
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