जूझ रहा था तालाब पानी के अभाव में।
जूझ रहा था तालाब पानी के अभाव में।
मिन तड़प रही थी पानी की आस में।
उसे दिखा नहीं पानी का अंश कही।
टूट रहा था शायद अब सब्र कहीं।
हवाओं का था एक झोंका आया
चेहरे पे उसके कुछ मुस्कान था लाया
पिघल गया वो पलभर में
जब उसने उसकी सांसों की धड़कन सुनी
हवा का झोंका तुरंत उम्मीद से वापस लौटा।
इस बार बादल को भी अपने साथ में लाया।
बादल ने बूंदों की थैली फेकी
बारिश की जब उसपे एक बूंद पड़ी
खिलखिला कर वो हंस पड़ी।
Vinay Pathak