जुल्म नारी पर मत ढहाना
अब जुल्म नारि पर ऐसा तुम नहीं ढहाना
उसको समझ खिलौना कोई नहीं सताना
भू आसमां करे बातें बैठ रोज जैसे
कन्धा मिला गगन तक ऊँचा उसे उठाना
बन सत्यवान सी नव जीवन प्रदायिनी वो
उसको न तुम कभी शिवशंकर से कम अंकाना।
दुर्गा कहो सती अनुसूया कहो मगर इक
चहुँ ओर व्यापिनी उसका मान न घटाना
बन शक्ति रूपिणी नर संहारकारिणी बन वो
पीड़ा उसे असह देकर कालि मत बनाना