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6 May 2018 · 1 min read

जुल्म नारी पर मत ढहाना

अब जुल्म नारि पर ऐसा तुम नहीं ढहाना
उसको समझ खिलौना कोई नहीं सताना

भू आसमां करे बातें बैठ रोज जैसे
कन्धा मिला गगन तक ऊँचा उसे उठाना

बन सत्यवान सी नव जीवन प्रदायिनी वो
उसको न तुम कभी शिवशंकर से कम अंकाना।

दुर्गा कहो सती अनुसूया कहो मगर इक
चहुँ ओर व्यापिनी उसका मान न घटाना

बन शक्ति रूपिणी नर संहारकारिणी बन वो
पीड़ा उसे असह देकर कालि मत बनाना

74 Likes · 1 Comment · 285 Views
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