जुल्फों की पनहां
अपनी जुल्फों के साये तले पनहां दे दो
हम तो गम की रातें जुल्फों में गुजार देंगे
शमां प्यार की जला के थोड़ा मुस्कुरा दो
उन्हीं यादों के सहारे ही जिन्दगी बिता देंगें
मकां बनने से पहले प्रेम का गिर भी जाए
बिखरी ईंटों को ही दिल में हम बसा लेंगे
सितम बचा है गर बाकी वो भी गिरा दो
जुल्मे सितम को हँसते हुए हम सह लेंगे
निकाह महबूब मेरे का कहीं ओर हुआ
खुशी महबूब की में हर गम को पी लेंगें
कारवां प्यार का अगर जो छूट भी जाए
तुम्हें पाने की तमन्ना लिए दम तोड़ देंगे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत