जुनून इश्क का
*** जुनून इश्क का ****
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आदमियत पर है भारी,
छा गया जुनून इश्क का।
छिपाए नहीं छुप सकता,
कभी भी आना मुश्क का।
घर सील हो जाते अक्सर,
असर बढ़ता है चसक का।
काया झट से पलट जाए,
खाना जो मिले खुश्क का।
आए घनी रिस्तों में दरार,
आगमन जो हो शक का।
वो जीना, जीना भी क्या,
जहाँ न हो काम रिस्क का।
चैन कभी है आता नहीं,
वक्त नही होता टसक का।
मनसीरत टूटती डोर,
दर्द कम न हो कसक का।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)