जुनूनी दिल
यारो हम तो आज भी
अपने हुनर में द़म रखते हैं,
उड़ जाते हैं रंग लोगों के जब,
हम महफिल में कदम रखते हैं।
हौसले अपनी जेब में रखकर,
सफर तय करता हूं,
इम्तिहान कितना भी कठिन हो,
पास कर ही लेता हूं।
जुनून जब बेहिसाब
चढ़ता है रग-रग में।
ये जूनूनी दिल और दिमाग भी,
कहां थकता है।
हद़ की सीमा से परे
उडा़न भरनी है यारो,
गिरूंगा, फिर से उठूंगा,
फिर से गिरूंगा, दौडूंगा,
और फिर न रूकूंगा।