जुदा नहीं होना
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
चाहे कुछ हो जुदा नहीं होना।
बद्दुआ देके तुम किसी को भी,
अपने ‘रब’ का बुरा नहीं होना।
तुम भी इंसा हो ये ख़्याल रहे,
पाके दौलत ख़ुदा नहीं होना।
इश्क़ शायद इसी को कहते हैं,
ख़ुद को ख़ुद का पता नहीं होना।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद