Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2024 · 1 min read

जुदाई

मुझे ठुकरा कर तो जा रहे हो तुम ,
याद रखना बहुत पछताओगे तुम ,

जब कभी तन्हा रहोगे तुम ,
तब मुझे अपने दिल के करीब पाओगे तुम ,

जिंदगी में कुछ ऐसे मरहले भी आते हैं ,
जब हमें अपने बहुत ही याद आते हैं ,

संगदिल दुनिया जब दर्द देती है ,
तब हमें अपने हमदर्द की तलाश रहती है ,

रह-रह कर अपनों से जुदाई का एहसास होता है ,
जिंदगी भर ये ग़म दिल में पैवस्त हो सालता है।

36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
कहां जाके लुकाबों
कहां जाके लुकाबों
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
Sonam Puneet Dubey
इक पखवारा फिर बीतेगा
इक पखवारा फिर बीतेगा
Shweta Soni
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
* इस तरह महॅंगाई को काबू में लाना चाहिए【हिंदी गजल/ गीति
* इस तरह महॅंगाई को काबू में लाना चाहिए【हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
कैदी
कैदी
Tarkeshwari 'sudhi'
घाव
घाव
अखिलेश 'अखिल'
कविता- 2- 🌸*बदलाव*🌸
कविता- 2- 🌸*बदलाव*🌸
Mahima shukla
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी
आर.एस. 'प्रीतम'
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
सपनों में खो जाते अक्सर
सपनों में खो जाते अक्सर
Dr Archana Gupta
!! मेघ !!
!! मेघ !!
Chunnu Lal Gupta
3112.*पूर्णिका*
3112.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सृजन
सृजन
Rekha Drolia
"गम का सूरज"
Dr. Kishan tandon kranti
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
😊 #आज_के_सवाल
😊 #आज_के_सवाल
*प्रणय प्रभात*
#शीर्षक:- गणेश वंदन
#शीर्षक:- गणेश वंदन
Pratibha Pandey
अब ना होली रंगीन होती है...
अब ना होली रंगीन होती है...
Keshav kishor Kumar
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
पूर्वार्थ
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
अरविंद भारद्वाज
मईया के आने कि आहट
मईया के आने कि आहट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
Dr. Upasana Pandey
दो पंक्तियां
दो पंक्तियां
Vivek saswat Shukla
भौतिक युग की सम्पदा,
भौतिक युग की सम्पदा,
sushil sarna
गुमनाम रहने दो मुझे।
गुमनाम रहने दो मुझे।
Satish Srijan
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
Jogendar singh
बड़ा मन करऽता।
बड़ा मन करऽता।
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...